Blind murder case: सेवादारों की नापाक करतूत आश्रम के महंत की हत्या कर शव गंगा में फेंका, कपड़ा बेचने वाले ने करोड़ो की संपत्ति हड़पने की रची थी साजिश, मास्टरमाइंड सहित 04 आरोपी गिरफ्तार

हरिद्वार/कनखल
19 अक्टूबर 2024।

महंत की हत्या कर फर्जी बाबा को सौंपा था आश्रम की देखरेख का जिम्मा, हरिद्वार पुलिस ने किया दूध का दूध पानी का पानी

एसएसपी हरिद्वार ने की टीम को ₹5000 ईनाम की घोषणा

“कनखल पुलिस ने ब्लाइंड केस का सफल खुलासा किया है, हम विवेचना में आश्रम से जुड़े और भी पहलुओं को ध्यान में रख कार्रवाई कर रहे हैं- एसएसपी हरिद्वार”

 

श्री रुद्रानन्द पुत्र श्यामलहरी गिरी निवासी रायवाला गौरी गीता आश्रम बिरला मन्दिर देहरादून द्वारा महन्त गोविन्द दास शिष्य बिशम्बर दास महाराज निवासी श्रद्धा भक्ति आश्रम ज्ञानलोक कॉलोनी कनखल हरिद्वार के दिनांक 15/06/24 को धर्म प्रचार हेतु आश्रम से राजस्थान जाना व वापस न आने के संबंध में दिनांक 17/10/24 को थाना कनखल पर गुमशुदगी दर्ज कराई गई थी।

अनुभवी कप्तान प्रमेन्द्र सिंह डोबाल के पर्यवेक्षण एवं एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह व सीओ सिटी जूही मनराल के निर्देशन में पुलिस जब विवेचना में जुटी तो आश्रम के कार्यकर्ता मनीषानंद, शोभित व गुमशुदा महन्त के परिचितों से पूछताछ करने पर पता चला कि जून माह 2024 से आश्रम में एक नया बाबा बैठा है जिसको पहले कभी देखा नहीं गया।

पूछताछ में कुछ लोगों की भूमिका संदिग्ध होने पर आश्रम में बैठाए गए नए बाबा रामगोपाल नाथ से कनखल पुलिस की कई चरणों की पूछताछ पर पूरी घटना से पर्दा उठा व मुख्य अभियुक्तों की भूमिका सामने आने पर महंत की हत्या होना सामने में आया।

घटना का मास्टरमाइंड अशोक फरवरी माह 2024 में आश्रम में आया था जो कपड़े बेचने के लिए आश्रम एवं आसपास इलाकों में आता था और कभी-कभी एक या दो दिन के लिए आश्रम में रूक जाया करता था वहीं से इसकी बाबा से मुलाकात हो गई। ये आश्रम के बाबा को 2021 से जानता था। इसी कारण लगभग 3 माह आश्रम में रुक कर गया था। मुख्य आरोपी अशोक समय-समय पर अपने दोस्त ललित, सौरभ व प्रदीप को आश्रम में बुलाता रहता था। इस दौरान आश्रम की पूरी जानकारी, महंत का उत्तराधिकारी न होने व शहर के बीचोंबीच स्थित आश्रम की बेशकीमती संपत्ति के बारे में गहनता से जानकारी इकट्ठा कर अशोक वापस चला गया और अपने साथियों ललित, सौरभ व प्रदीप के साथ षड़यंत्र रचते हुए महंत को रास्ते से हटा पूरी की पूरी बेशकीमती संपत्ति पर कब्जा कर मोटा मुनाफा कमाने का कुटिल प्लान बनाया।

सभी दोस्तों ने प्लान के मुताबिक सबसे पहले आश्रम में लगे सभी सीसीटीवी कैमरे हटा दिए और मौका देखकर दिनांक 01 जून 2024 को महंत राम गोविंद दास को पहले नशे के इंजेक्शन लगाकर बेहोश किया फिर गला घोंटकर हत्या कर दी। इसके बाद आरोपियों ने शव को कट्टे में रखकर किराए की स्कूटी की मदद से ले जाकर गंगा नदी में फेंक दिया।

महंत की हत्या के बाद अशोक ने 3 जून को अपने किसी परिचित फर्जी बाबा रामगोपाल नाथ को रुपयों का लालच देकर आश्रम की निगरानी के लिए बुलाया और फर्जी बाबा को अंधेरे में रखकर महंत के धर्म प्रचार हेतु अयोध्या जाना बताया और कहा कि कोई महंत के बारे में पूछताछ करे तो महंत के अयोध्या जाने की बात कहना। आश्रम में बुलाए गए फर्जी बाबा को बाकी लोगों के साथ उठने बैठने, खाने-पीने के दौरान कुछ दिन बाद आश्रम के महंत की हत्या की जानकारी हो गई लेकिन समय-समय पर मिल रहे खर्च एवं आश्रम बेचकर हिस्से में आने वाले मोटे मुनाफे के लालच में वह चुपचाप बैठा रहा और इस बात को दबाए रखा।

अब मुख्य बात यह थी कि बाबा को ठिकाने लगाने के बाद उसके आश्रम को कैसे बेचा जाए। इसके लिए आरोपी अशोक ने आश्रम को बेचने के लिए संजीव त्यागी जो छोटा-मोटा प्रॉपर्टी डीलर है, से मिलकर महंत के हू-ब-हू जाली हस्ताक्षर कर फर्जी वसीयतनामा तैयार किया और संजीव त्यागी द्वारा पूरी जानकारी होने के बाद भी मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में आरोपियों का साथ दिया गया।

मास्टरमाइंड अशोक ने अपने साथियों के साथ मिलकर महंत की करोड़ों की प्रोपर्टी हड़पने के उद्देश्य से घटना को अंजाम दिया था। अशोक महंत की हत्या के पश्चात महंत की लगभग 50 लाख की FD, चेक बुक, मोबाइल व अन्य दस्तावेज अपने साथ ले गया और गुमराह करने के उद्देश्य से मृतक के मोबाइल में अलग अलग सिम डाल रहा था। महंत के बैंक एकाउंट चैक पर फर्जी हस्ताक्षर कर बैंक से लगभग 10 लाख की रकम भी हड़प चुका था इसके बाद अब लाखों की FD को कैश कराने की फिराक में घूम रहा था। आरोपी संजीव त्यागी के साथ मिलकर आश्रम का फर्जी वसीयतनामा बनाकर आश्रम को 10 करोड़ में बेचने की डील की तैयारी में थे।

महंत की हत्या के बाद मुख्य आरोपी अशोक ने फर्जी बाबा को आश्रम में बैठाकर सभी को आश्रम से जुड़े नए सेवादारों व महंत के परिचितों को यह कह कर गुमराह किया गया कि महंत जी धर्म प्रचार हेतु अयोध्या गए हैं व आश्रम की देखभाल हेतु नए बाबा को रखा गया है।

विगत 04 माह से महंत का मोबाइल स्विच ऑफ होना व उनकी कोई खबर न होने पर भी आश्रम से किसी के द्वारा पुलिस को सूचना न देने पर महंत के एक अन्य चेले रूद्रानन्द जो परशुराम अखाडे से सम्बन्ध रखता है द्वारा शक होने पर थाना कनखल पर दिनांक 17.10.2024 को महंत की गुमशुदगी दर्ज कराई गई। जिसको कनखल पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मात्र 24 घंटे के अंदर ब्लाइंड मर्डर केस का खुलासा कर दिया।

महंत की हत्या के षड्यंत्र में शामिल मुख्य आरोपी अशोक कुमार पुत्र रघुवीर सिंह म०न० 57 गली नम्बर 02 दुर्गापुरी एक्टेन्शन शहादरा थाना ज्योतिनगर दिल्ली, ललित पुत्र दिनेश शर्मा निवासी पृथ्वी विहार नियर एफसीआई गोदाम मेरठ रोड थाना 32 सेक्टर करनाल, संजीव कुमार त्यागी पुत्र शरदचन्द निवासी मुण्डेत थाना मंगलौर हरिद्वार और योगी रामगोपाल नाथ उर्फ गोपाल सिहं पुत्र स्व० मनफूल सिहं निवासी ग्राम कोहरा थाना सजेती तहसील घाटमपुर जिला कानपुर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। दो अन्य 02 अभियुक्तों सौरभ व प्रदीप की तलाश जारी है। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद थाना कनखल की कई पुलिस टीमें जल पुलिस की मदद से शव की तलाश में जुटी हुई हैं।

गिरफ्तारी के दौरान अभियुक्तों के कब्जे से मृतक महंत गोविंदास की 16 लाख रूपए की पंजाब नेशनल बैंक की मूल FD, दो चैक बुक व फर्जी वसियतनामें की छायाप्रति बरामद हुई। पकड़ में आए आरोपियों की निशांदेही पर वारदात के दौरान प्रयुक्त इंजेक्शन, नशीली गोली का पत्ता आदि बरामद किया गया।

घटना का खुलासा कर आरोपियों की गिरफ्तारी में पुलिस टीम में सीओ सिटी जूही मनराल, थानाध्यक्ष श्री मनोज नौटियाल, SI चरण सिहं चौहान, ASI मुकेश राणा, का० 407 सतेन्द्र रावत, का० 653 उमेद सिंह, का० जितेंद्र राणा, का० संजू सैनी, का० उमेश (CIU), का० वसीम (CIU) मौजूद रहे।

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