झांसी मेडिकल कॉलेज में लगी भीषण आग, 10 नवजात जिंदा जले, 39 को खिड़की तोड़ कर किया रेस्क्यू

उत्तरप्रदेश/झांसी
16 नवंबर 2024।

झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शिशु वार्ड (NICU) में शुक्रवार रात करीब 10:30 बजे भीषण आग लग गई। जिसमें 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई। चाइल्ड वार्ड की खिड़की तोड़कर 10 शवों को निकाला जा चुका है। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।

सूचना मिलने पर जिलाधिकारी समेत सभी प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियां आग बुझाने में जुट गई। सेना का दमकल वाहन भी मौके पर पहुंच चुका है। अब तक करीब 37 बच्चों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। वार्ड में अंदर 50 से ज्यादा बच्चों के फंसे होने की आशंका है।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस घटना की जानकारी मिलते ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ”जनपद झांसी स्थित मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में घटित एक दुर्घटना में हुई बच्चों की मृत्यु अत्यंत दुःखद एवं हृदयविदारक है। जिला प्रशासन तथा संबंधित अधिकारियों को युद्ध स्तर पर राहत एवं बचाव कार्यों को संचालित कराने के निर्देश दिए हैं। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्माओं को सद्गति एवं घायलों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें।”

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आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। सीएम योगी ने हादसे पर संज्ञान लिया। सीएम योगी ने कमिश्नर और DIG को 12 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने के आदेश दिए। डिप्टी सीएम झांसी के लिए रवाना हो चुके है।

आग इतनी भयानक थी कि पूरा चाइल्ड वार्ड जल गया। वार्ड के अंदर फंसे बच्चे बुरी तरह से झुलस गए। वार्ड की खिड़की तोड़कर बच्चों को निकाला गया।
रेस्क्यू के दौरान भारी संख्या में बच्चों के परिजनों की भीड़ भी जमा हो गई।
डीएम अविनाश कुमार ने मीडिया को बताया कि बाहर की तरफ जो बच्चे थे, वो बचा लिए गए हैं। अंदर की तरफ जो बच्चे थे, वो काफी झुलस गए हैं। 10 बच्चों की मौत हो गई है। शॉर्ट सर्किट से आग लगने की बात सामने आ रही है। जितने बच्चे घायल हैं, उनकी मॉनिटरिंग की जा रही है। घटना 10.30 बजे से 10.45 के बीच की है। एक जांच टीम बना दी गई है। जो इसकी रिपोर्ट देगी।

कमिश्नर बोले- अंदर की तरफ से लगी आग कमिश्नर विमल दुबे ने बताया कि अधिकांश बच्चों को बचा लिया गया है। एनआईसीयू वार्ड की दो यूनिट हैं, एक अंदर और दूसरी बाहर की तरफ। आग अंदर की ओर से लगी है।

वार्ड में धुंआ भरने के कारण दमकलकर्मी मुंह में रुमाल बांधकर रेस्क्यू में जुटे।
मौके पर मौजूद लोगों का कहना है कि सिलेंडर ब्लास्ट के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया। कुछ देर तक समझ नहीं आया कि क्या हुआ। लेकिन अस्पताल कर्मचारियों ने जब वार्ड से धुंआ निकलते देखा तो वहां अफरा-तफरी मच गई। एक पीड़िता अपने बच्चे की मौत की खबर सुनकर बेहोश हो गयी।

अस्पताल कर्मचारी वार्ड की तरफ भागे तो रोते-बिलखते बच्चों के परिजन भी उनके पीछे-पीछे भागे। हालांकि, आग की लपटों और धुएं की वजह से कोई वार्ड में नहीं घुस पाया। मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड और पुलिस टीम ने खिड़की का शीशा तोड़कर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया।

आग लगने के बाद भी नहीं बजा सेफ्टी अलार्म दमकल कर्मी मुंह पर रुमाल बांधकर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हैं। चाइल्ड वार्ड में आग लगने के बावजूद सेफ्टी अलार्म नहीं बजा। अगर समय से सेफ्टी अलार्म बज जाता तो इतनी बड़ी घटना होने से रोकी जा सकती थी।

मेडिकल कॉलेज में आग लगने के बाद से चारो ओर अफरा-तफरी का माहौल है। परिजन रोते-बिलखते नजर आ रहे हैं। कानपुर से बड़ी डॉक्टरों की बड़ी टीम झांसी मेडिकल कॉलेज पहुँच गई। सीएम के निर्देश पर उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक एवं प्रमुख सचिव स्वास्थ्य भी झांसी पहुंच चुके हैं।घटना के बाद बिजली काट दी गई। मोबाइल और टार्च की रोशनी में रेस्क्यू किया गया।

परिजन बोले- डॉक्टर की कमी से बच्चे की मौत

रोते-बिलखते परिजन अपनी बच्चे की तलाश करते रहे, लेकिन उनका बच्चा नहीं मिला।
रोते-बिलखते एक बदहवास दंपती ने कहा- 9 तारीख से मेरा बच्चा भर्ती था, डॉक्टर की कमी से मेरे बच्चे की मौत हो गई। मेरा बच्चा यहीं जन्मा, जिसे ऑक्सीजन में रखा गया था। मेरा बच्चा नहीं मिला। कम से कम 50 बच्चे भर्ती थे, आधे बचे-आधे मर गए हैं

बताया जा रहा है बच्चों को NICU में रखा गया। इसके दो पार्ट थे। अंदर की तरफ क्रिटिकल केयर यूनिट थी। यहीं पर सबसे ज्यादा बच्चों की मौत हुई है। क्योंकि एंट्री और एग्जिट के लिए एक ही रास्ता था। जिसमें धुआं भर गया था। रेस्क्यू नहीं हो सका।
हॉस्पिटल में फायर अलार्म सिस्टम लगे थे, मगर आग लगने के बाद ये बजे ही नहीं। अलार्म बज जाता, तो ज्यादा बच्चों को बचाया जा सकता था।
परिजनों के आरोप है कि बच्चों को पैरामेडिकल स्टाफ ने बचाया ही नहीं। वह भाग गए। डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ इस हादसे में जले नहीं हैं, सभी सुरक्षित है।

 

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