एनकाउंटर में फंसे तो बाल-बच्चे तक रोएंगे, नैतिकता का तकाजा है कि पुलिस स्वयं अपराधी न बने: पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह

सुभान खान,
01 अक्टूबर 2024।

उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने पुलिस अफसरों को चेताया है। उन्होंने कहा- जो सरकारें और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अपने अधीनस्थों पर नाजायज दबाव डालकर फर्जी मुठभेड़ करवाते हैं। वे फंसने पर कोई मदद नही करते जब मुकदमा सजा के लेवल पर आता है, तब तक ये पुलिस अधिकारी बूढ़े और रिटायर्ड हो चुके होते हैं। कोई आगे पीछे नहीं होता। इन्हें उनकी किस्मत के भरोसे छोड़ दिया जाता है। पुलिस अधिकारी नहीं चेते, तो बाल-बच्चे तक रोयेंगे। नैतिकता का तकाजा है कि पुलिस स्वयं अपराधी न बने।

फ़ाइल फोटो- पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह

सुलखान सिंह ने प्रयागराज में फर्जी एनकाउंटर पर 12 पुलिस कर्मियों पर FIR का जिक्र भी किया। उन्होंने सीतापुर की एक मुठभेड़ के मामले में जिक्र करते हुए कहा घटना के 25 वर्ष बाद पुलिस कर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और एक एक करके कई पुलिस अधिकारी केन्द्रीय कारागार बरेली में मरते रहे लेकिन अदालतों से उनकी जमानत नहीं हुई।लगभग ढाई सौ पुलिस अधिकारी जेलों में सड़ रहे हैं। इन्हें कोई मदद करने वाला या बचाने वाला नहीं होता है। पीलीभीत जनपद में खूंखार आतंकवादियों को मुठभेड़ में मारने वाले 45 पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद की सजा हुई। उस समय भी भाजपा सरकार थी। वर्तमान भाजपा सरकार ने बार-बार गुहार लगाने के बाद भी इन बूढ़े और रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों की सजा माफ नहीं की। हाईकोर्ट से भी जमानत नहीं हुई। सुलखान सिंह 2017 में बनी भाजपा सरकार के पहले डीजीपी थे।

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