यूनिफॉर्म सिविल कोड के विरोध में मुस्लिम सेवा संगठन ने की प्रेसवार्ता

देहरादून। यूनिफार्म सिविल कोड के विरोध में देहरादून के पलटन बाजार स्थित जामा मस्जिद में मुस्लिम सेवा संगठन ने एक प्रेस वार्ता की, जिसकी अध्यक्षता शहर काजी मोहम्मद अहमद कासमी ने की। प्रदेश में किसी तरह की कोई उत्पात या अप्रिय स्थिति या घटना न हो, इसको देखते हुए धारा 144 लागू कर दी गई है।

मुस्लिम समुदाय के लोगों ने प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किए जाने का विरोध शुरू कर दिया है। उन्होंने इसे कुरान, शरीयत, मुस्लिम पर्सनल लॉ पर इसे अतिक्रमण करार दिया है। पलटन बाजार स्थित जामा मस्जिद में शहर काजी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी और इमाम संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मुफ्ती रईस काशमी ने यूसीसी पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि यूसीसी में मुस्लिम समुदाय की आपत्तियों को दरकिनार किया गया है।

शहर काजी ने कहा कि यूसीसी केवल एक धर्म विशेष के खिलाफ है। हम इसका कड़ा विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि जब ड्राफ्ट सामने आएगा तो उसका विस्तृत अध्ययन किया जाएगा। संवैधानिक दायरे में रहकर लड़ाई लड़ी जाएगी। आर्टिकल 25 के तहत हर धर्म को मानने वाले व्यक्ति को अपने धर्म पर चलने की आजादी है। केंद्र सरकार की ओर से संविधान में संशोधन किया जाए, उसके बाद यूसीसी लागू किया जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो दो कानून आपस में टकराएंगे।

मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी ने यूसीसी धर्म विशेष पर सीधा प्रहार है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूसीसी प्रावधानों में से चार सीधे मुस्लिम पर्सनल लॉ पर हमला करते हैं। जिससे पता चलता है की यूसीसी लाने का मतलब मुस्लिम लॉ को खत्म करना है क्योंकि उत्तराखंड यूसीसी का अध्याय एक प्रदेश एक सिविल कानून में अनुसूचित जाति जनजाति ट्राईबल्स एरिया को छोड़ जाना इस कानून के एक होने पर यथोचित प्रश्न खड़े करता है।

इस अवसर पर बोलते हुए मुस्लिम सेवा संगठन के उपाध्यक्ष आकिब क़ुरैशी ने कहा की यूसीसी ड्राफ्टिंग कमेटी में किसी भी धार्मिक धर्मगुरु या धर्म के जानकर को नहीं लिया गया। विशेषकर मुस्लिम धर्म गुरु को शामिल नहीं किया गया क्योंकि ये कानून सब से ज़्यादा मुस्लिम धर्म को प्रभावित करता है। ऐसे में किसी भी मुस्लिम धर्म गुरु को शामिल ना करना इस कानून की वैधता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है। इसके अलावा क्योंकि इसमें जौनसार बावर के क्षेत्र और ट्राईबल्स एरिया को अलग कर दिया है इससे इसकी एक प्रदेश एक कानून की सार्थकता पर बड़ा प्रश्न है। इस अवसर पर खुर्शीद अहमद हासिम उमर मुहम्मद इरशाद आदि मौजूद रहे।

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