बाबर खान, उत्तराखंड/देहरादून, 26 अप्रैल 2025।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में दून अस्पताल के बाहर बनी दशकों पुरानी मजार को प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया। शुक्रवार देर रात पुलिस प्रशासन सहित अन्य कई विभागों की संयुक्त कार्रवाई में इस मजार को ध्वस्त किया गया। इस मजार पर सर्वधर्म के लोग आस्था के साथ चादरपोशी करते थे। मजार पर मुस्लिम लोगों से ज्यादा हिन्दू लोग आकर अपनी मन्नते मांगते व चादरपोशी करते दिखाई देते थे। मजार पर हिंदू समुदाय की महिलाओं को भी अक्सर प्रसाद और चादर चढ़ाते हुए देखा जाता था।
दून अस्पताल के बाहर बनी इस मजार को लेकर विगत वर्ष सीएम पोर्टल पर एक शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसे सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा बताते हुए हटाने की मांग की गई थी। सीएम पोर्टल पर मिली शिकायत के बाद उप जिलाधिकारी ने भूमि संबंधित दस्तावेजों की जांच की। जांच करने के बाद शुक्रवार देर रात प्रशासन ने इस मजार पर बुलडोजर चला दिया।
दून अस्पताल के बाहर वर्षों पुरानी बनी इस मजार को लेकर अक्सर विरोध के स्वर उठते रहे हैं। अब इस मजार को ढहा कर सरकार ने साफ संदेश दिया है कि किसी भी तरह के अवैध अतिक्रमण बख्शा नहीं जाएगा। वहीं मजार से आस्था रखने वाले लोगों का कहना है कि सरकारी भूमि पर बने अन्य धर्मों के धर्म स्थलों को भी सरकार को ध्वस्त करने चाहिए, प्रदेश भर में सड़कों, सार्वजनिक पार्को,चौराहों पर हजारों की तादाद में अन्य धर्मों के अवैध धर्म स्थल बने हुए हैं। उन पर सरकार किसी तरह की कार्यवाही नही कर रही है।
सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर हुई थी शिकायत
ऋषिकेश निवासी पंकज गुप्ता ने पिछले साल सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर इस मजार को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। पंकज गुप्ता की सीएम पोर्टल पर शिकायत के बाद इस मामले में प्रशासन हरकत में आया और डीएम ने कमेटी गठित की। कमेटी में उप जिलाधिकारी सदर हर गिरी को भूमि संबंधित दस्तावेजों की जांच करने की जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने राजस्व, नगर निगम, अस्पताल प्रशासन और अन्य विभागों के अधिकारियों को समिति में शामिल कर मजार की दस्तावेजों की जांच की। समिति ने दून अस्पताल की मजार अवैध है या नहीं, सरकारी भूमि पर है अथवा नहीं, इसके निर्माण संबंधी अनुमति लेने की जांच पड़ताल की। पड़ताल पूरी होने के बाद शिकायत सही पाई गई और सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनी इस मजार को देर रात भारी पुलिस बल की मौजूदगी में बुलडोजर में ध्वस्त कर दिया।
सूत्रों के मुताबिक, जिस मजार को तोड़ा गया वह वक्फ बोर्ड में दर्ज है। वहीं प्रशासन का कहना है कि मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत मिलने के बाद भूमि से जुड़े सभी दस्तावेजों और स्वामित्व की जांच की गई। जांच में यह भूमि सरकारी पाई गई, जिसके बाद मजार को हटाने का निर्णय लिया गया।
बता दें कि धामी सरकार ने प्रदेश भर में करीब 550 से अधिक मजारों को ध्वस्त करने की कार्रवाई की है। पिछले दिनों रुद्रपुर में एक सैकड़ो साल पुरानी मजार को राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण में बाधा बताते हुए ध्वस्त किया गया है। इससे प्रदेश के मुस्लिम समाज के लोगों का कहना कि रात के अंधेरे में मजार को तोड़ा जाने से सरकार की मुसलमानों के प्रति क्या मंशा है साफ दिखाई दे रही हैं।विगत दो सालों से मुस्लिम धार्मिक स्थलों को सरकार द्वारा तोड़ा जा रहा है, जबकि अन्य धर्मों के किसी भी अवैध धर्म स्थल के विरुद्ध सरकार कोई कार्यवाही नही कर रही है। अब आगे देखना ये है प्रदेशभर में अन्य धर्मो के सरकारी भूमि पर बने अवैध धर्मस्थलों पर सरकार क्या कार्यवाही करती है।