मुजफ्फरनगर एसएसपी के आदेश से सियासी गलियारों में मचा तहलका, तुगलकी फरमान लिया वापस

हरिद्वार।

19 जुलाई 2024।

उत्तरप्रदेश पुलिस के तुगलकी फरमान के बाद मुजफ्फरनगर में सड़क किनारे फल बेचने वालों ने ठेली पर अपने नाम की प्लेट लगाई है।
22 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा पर प्रशासन विवादों में घिरता दिख रहा है। मुजफ्फरनगर पुलिस ने 15 जुलाई को जारी एक आदेश में कहा था कि कांवड़ रास्ते की दुकानों में मालिक अपना नाम लिखवाएं, ताकि कांवड़ियों में कंफ्यूजन न हो। इस आदेश के बाद अब राजनीति शुरू हो गई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव और AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर सवाल उठाए हैं।


ओवैसी ने मुजफ्फरनगर पुलिस की तुलना हिटलर से की है। वहीं, अखिलेश ने कहा- जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? कोर्ट इस मामले में स्वत: संज्ञान ले। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं।

वहीं सामाजिक कार्यकर्ताओं, महिला संगठनों व लेखकों ने मुजफ्फरनगर पुलिस कप्तान द्वारा कांवड़ यात्रा को देखते हुए जारी किए गए आदेश की निंदा की है। वहीं राज्य सरकार से इस आदेश को वापस लिए जाने और आदेश जारी करने वाले के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की गई है।
एडवा की मधु गर्ग ने कहा कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर आने वाले सभी होटलों, ढाबों व फल आदि बेचने वालों को अपने नाम की प्लेट लगाने का आदेश विभाजनकारी है। पुलिस ने यह आदेश हिंदूवादी संगठन के दबाव में दिया है। सामाजिक कार्यकर्ता साझी दुनिया की प्रो रूपरेखा वर्मा, भारतीय महिला फेडेरेशन की कांति मिश्रा, एपवा की मीना सिंह, वंदना मिश्रा, नाइश हसन आदि ने कहा कि उस क्षेत्र में स्थानीय मुस्लिम समुदाय द्वारा कांवड़ियों के लिए खाने-पीने के स्टाल और आराम करने के लिए कांवड़ यात्रा के रास्ते में टेंट भी लगाने की परंपरा रही है। कुछ ताकतें नफरत की राजनीति कर इस सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ना चाहती हैं। समाज में विभाजन पैदा करना चाहतीं हैं।

तृण मूल कॉंग्रेस के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने मुजफ्फरनगर पुलिस के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में केस दर्ज कराया है। गोखले के मुताबिक, आदेश भेदभाव करने वाला है। साथ ही उन्होंने SSP मुजफ्फरनगर के तर्क को मूर्खतापूर्ण बताया।

मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश की क्या रही वजह-
बघरा के योग साधना केंद्र के संस्थापक स्वामी यशवीर आश्रम महाराज ने चेतावनी दी थी कि कांवड़ रास्ते पर पड़ने वाले मुस्लिम होटल संचालक अपना नाम नहीं लिखेंगे तो आंदोलन छेड़ देंगे।

उन्होंने आरोप लगाया कि मुसलमानों ने हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर होटल खोले हैं। इससे श्रद्धालु भ्रमित हो जाते हैं। पुलिस जांच में ऐसे 8 होटल मिले, जो मुसलमानों के थे, लेकिन होटलों के नाम हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर रखे गए थे।

इसके बाद SSP अभिषेक सिंह ने अपील की कि अपने होटल का नाम बदल लें और वहां काम करने वालों के नाम बोर्ड पर लिखवा दें। मुजफ्फनगर जिले से होते हुए कांवड़िए हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और यूपी के अलग-अलग जिलों में जाते हैं। हरिद्वार से हर साल 4 करोड़ कांवड़िए कांवड़ उठाते हैं। ढाई करोड़ से ज्यादा कांवड़िए मुजफ्फरनगर से होकर जाते हैं।यशवीर सिंह आश्रम महाराज की चेतावनी के बाद पुलिस ने जांच की। इसमें 8 होटल ऐसे मिले, जिनके मालिक मुसलमान थे। इसके बाद SSP अभिषेक सिंह ने सभी होटल मालिकों से अपील की कि अपने होटल का नाम बदल लें।

एसएसपी मुजफ्फरनगर अभिषेक सिंह ने सफाई देते हुए कहा- कांवड़ यात्रा के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखनी होती है। ऐसे में किसी प्रकार की भ्रम की स्थिति पैदा न हो, इसलिए होटल संचालकों से उनके नाम की पट्टिका लगवाई गई। कांवड़िए खानपान में कुछ खाद्य सामग्री से परहेज करते हैं। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां कांवड़ मार्ग पर दुकानदार अपनी दुकानों के नाम इस तरह रखते हैं, जिससे कांवड़िए भ्रमित हो जाते हैं। इसके चलते कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए होटल मालिकों और अन्य दुकानदारों से अनुरोध किया कि स्वेच्छा से मालिक दुकान पर अपना और वहां काम करने वालों का नाम लिखवा दें। हमारा इरादा किसी की भावनाओं को आहत करने का नहीं है।

कावड़ यात्रा से पहले मुजफ्फरनगर पुलिस के इस फरमान से देशव्यापी बहस शुरू हो गयी और सियासी गलियारों में तहलका मच गया। सोशल मीडिया पर फजीहत के बाद सरकार बैकफुट पर आ गई जिसके चलते गुरुवार को मुजफ्फरनगर पुलिस ने यूटर्न लेते हुए अपना आदेश वापस ले लिया है।

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