बाबर खान
हरिद्वार/ज्वालापुर। मुक़द्दस माह रमजानुल मुबारक के शुरू होते ही ज्वालापुर के बाजारों में बढ़ी रौनक बढ़ गयी हैं।
आज पहले रोजे के साथ बाजारों में खरीदारों की चहल-पहल बढ़ गई है। सेवई,खजूर और अन्य उपयोगी सामानों की भी दुकानें बाजार में सज गई है।
रमजान के मुकद्दस महीना की शुरुआत होते ही मुस्लिम समुदाय के लोग इबादत में मशगूल हो जाते हैं। रमजान के महीने में पूरे एक महीना तक रोजे रखे जाते है। जिसकी बहुत सारी फजीलत हैं। अल्लाह इस महीने में इबादत करने वालों के सारे गुनाहों माफ कर देता है। रमजान में पांच वक्ती नमाजों के साथ-साथ तराबीह की नमाज भी अदा की जाती है। जो ईशा की नमाज के बाद 20 रकअत तराबीह की नमाज पढ़ी जाती है। जिसमें पूरे कुरान को पढ़ा जाता है। रमजान के मौके पर इफ्तार के समय रोजेदार फल शरबत आदि खाते-पीते है। बाजारों में इन दिनों फलों के दामों में भी बढ़ोतरी हो गई। इफ्तार के समय खजूर खाने का अहमियत अलग है। मान्यता है कि मोहम्मद सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम खजूर से ही रोजा इफ़्तार किया करते थे। इसीलिए रोजेदार इफ्तार के समय खजूर खाना मुनासिब समझते है। रमजान को लेकर बाजारों में भी चहल-पहल बढ़ गई है। बाजारों में सेवई, खजूर आदि की दुकानें सजने लगी है। रमजान की खरीदारी करने आए लोगों का कहना है कि खजूर, सेवई के दाम में बेतहाशा वृद्धि हुई है।
रमजान के होते है तीन अशरे
रमजान को तीन अशरे में बांटा गया है। प्रत्येक अशरा 10-10 दिनों का होता है। जिसमे पहला अशरा रहमत, दूसरा अशरा बरकत और तीसरा अशरा जहन्नुम से मगफिरत का है। आखरी अशरे में रोजेदार 10 दिनों तक मस्जिद में रहकर एतिकाफ में बैठकर अल्लाह की इबादत करते हैं। आखिरी आशरे का रमजान-उल-मुबारक में बहुत बड़ा मरतबा है। इसी अशरे मे शब-ए-कदर की रात भी होती है। जो 11 महीने से सभी रातों से अफजल माना जाता है। कहा जाता है कि शबे कदर की रात जो मुसलमान जागकर अल्लाह की इबादत करता है, उस पर जहन्नुम की आग हराम हो जाती है।