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दिल्ली। सोमवार को विपक्ष के 78 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था. मंगलवार एक बार फिर लोकसभा से 49 सांसदों को निलंबित दिया गया।
पिछले हफ़्ते निलंबित किए गए 14 सांसदों को मिलाकर संसद के शीतकालीन सत्र में निलंबित सांसदों की कुल संख्या 141 हो गई है।
इन सभी सांसदों को मौजूदा सत्र के बाक़ी बचे दिनों के लिए निलंबित किया गया है।
लोकसभा से निलंबित विपक्षी सांसदों में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, तृणमल कांग्रेस के सौगत राय, डीएमके के टीआर बालू और दयानिधि मारन शामिल हैं।
राज्यसभा से जयराम रमेश, प्रमोद तिवारी, केसी वेणुगोपाल, इमरान प्रतापगढ़ी, रणदीप सिंह सुरजेवाला और मोहम्मद नदीमुल हक़ जैसे सांसद शामिल हैं।
ये सांसद 13 दिसंबर को संसद में हुई सुरक्षा में चूक मामले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग कर रहे थे।
वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी सांसदों के निलंबन को चौंकाने वाला फ़ैसला बताते हुए कहती हैं कि ऐसा करना सही विकल्प नहीं है।ये सस्पेंशन चौंकाने वाली बात है। ये बहुत ही दुर्भाग्यशाली है। संसद में हल्ला-गुल्ला होता है लेकिन जिस विषय पर हुआ वो अहम है।
उन्होंने कहा संसद की सिक्योरिटी का उल्लंघन एक बहुत अहम मुद्दा है। अगर सांसद और विपक्ष इस मुद्दे को नहीं उठाते हैं तो फिर उनके संसद में रहने का कोई मतलब ही नहीं है। उनको जनता ने ऐसे मुद्दे उठाने के लिए ही संसद में भेजा है। उनका मानना है।सांसदों की बातें सरकार को सुननी चाहिए थी।अगर सांसदों का व्यवहार विघ्न डालने वाला था। तो भी ये मुद्दा ऐसा था कि सरकार को कड़वा घूंट पी ही जाना चाहिए था। उनकी बातें सुननी चाहिए थी और चाहते तो कुछ घंटों के लिए सस्पेंड भी कर देते लेकिन उन्हें पूरी तरह सस्पेंड कर देना अच्छा नहीं है।
एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्षी सांसदों के निलंबन को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।
उन्होंने कहा, संसद लोकतंत्र का मंदिर होता है। मंदिर में आचरण और व्यवहार के तौर तरीक़े होते हैं। उसमें एकतरफ़ा कार्रवाई करना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। यह राजनीति से प्रेरित नज़र आता है।
- विपक्ष बीजेपी की सरकार गिराना चाहता है, हम देश के सुनहरे भविष्य को सुनिश्चित करना चाहते हैं -पीएम मोदी
- मोदी सरकार को विपक्ष-मुक्त संसद चाहिए तो बीजेपी कार्यालय में ही बैठक कर लें- रणदीप सिंह सुरजेवाला
- केंद्र सरकार संसद से विपक्षी सासंदों को पूरी तरह साफ़ कर रहा है ताकि बेहद सख्त क़ानूनों को सदन में बिना बहस के पास कराया जा सके-कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश
- पुलिस गृह मंत्रालय के ही अंतर्गत आती है। क्या हो जाता अगर गृह मंत्री पांच मिनट के लिए सदन में आ कर बोल देते कि जनाब चूक हुई है और मामले की जांच हो रही है। -फारुख अब्दुल्ला
- संसद में हम अपनी बात नहीं रख पा रहे, ये सरकार की विफलता है- डिंपल यादव